टीवी पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों का बच्चों पर बढ़ता प्रभाव
टीवी पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों का बच्चों पर बढ़ता प्रभाव
किसी उत्पाद को बनाने से ज्यादा उसे बेचना मुश्किल है। इसके लिए लोगों के दिमाग से खेलना जरूरी है और इस काम के लिए पानी की तरह पैसा बहाकर विज्ञापन बनाए जाते हैं। इस बात से आप भी सहमत होंगे कि इन विज्ञापनों से बच्चे जल्दी प्रभावित होते हैं, फिर चाहे विज्ञापन उनके मतलब का हो या नहीं। टॉफी से लेकर गाड़ी तक हर विज्ञापन बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करता है और वो उसे लेने की जिद कर बैठते हैं। वैसे भी जो दिखता है, वो बिकता है।
मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बच्चों पर विज्ञापन के अच्छे और बुरे दोनों तरह के प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही इसके दुष्प्रभावों से बच्चों को बचाने के कुछ उपाय भी आपको बताएंगे।
सबसे पहले आपके लिए यह जानना जरूरी है कि विज्ञापन आपके बच्चों को कैसे प्रभावित करते हैं।
विज्ञापन बच्चों और युवा पीढ़ी को कैसे प्रभावित करते हैं?
टेलीविजन बच्चों को चुप करवाने का नया तरीका बन गया है। बच्चा रो रहा हो या जिद कर रहा हो, बस उसके हाथ में टीवी का रिमोट पकड़ा दो, वह तुरंत शांत हो जाता है । इस प्रकार किशोरावस्था तक पहुंचते-पहुंचते कई बच्चों के लिए सभी समस्याओं का समाधान टेलीविजन, मोबाइल या फिर कंप्यूटर बन जाता है। फिर चाहे वो कार्टून देखें या कोई और कार्यक्रम, सभी में उन्हें विज्ञापन मिलते हैं, जो खासकर उन्हीं को फोकस करते हुए बनाए जाते हैं। एक रिसर्च के अनुसार, एक साल में बच्चा लगभग 40 हजार या उससे अधिक विज्ञापन देखता है।
शोध से पता चला है कि कार्टून और चलचित्र पात्र, दोनों ही बच्चों का आकर्षण केंद्रित करने में प्रभावी साबित हुए हैं। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, वो इन पात्रों से भावनात्मक रूप से जुड़ने लगते हैं और उनके द्वारा विज्ञापित
उत्पादों की तरफ आकर्षित होने लगते हैं। इसके अलावा, कंपनियां अपने उत्पादों के साथ कई ऑफर्स देती हैं, जो बच्चों को आकर्षित करते हैं, उदाहरण के लिए कैंडी, चॉकलेट्स और चिप्स के साथ मिलने वाले खिलौने। इन ऑफर्स के चलते भी बच्चे उन उत्पादों को खरीदने की जिद करने लगते हैं । आप जानकर हैरान होंगे कि खाद्य और पेय कंपनियां बच्चों के लिए बनाए उत्पादों के विज्ञापन पर हर साल लगभग 1200 करोड़ रुपये खर्च करती हैं । आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि विज्ञापन का बाजार कितना बड़ा है।
लेख के अगले भाग में जानिए कि इन विज्ञापनों का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है।
विज्ञापनों का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
विज्ञापन बच्चों और किशोरों पर सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों तरह के प्रभाव डाल सकता है। जहां एक तरफ ये बच्चों के खेलने की, खाने की और शारीरिक गतिविधियों पर बुरा असर डाल सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ ये उन्हें तकनीकी और सामाजिक ज्ञान भी देते हैं। इन सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों के बारे में हमने यहां विस्तार से बताया है।
सकारात्मक प्रभाव
यहां हम उन विज्ञापनों के सकारात्मक प्रभावों की बात कर रहे हैं, जिन्हें बच्चों को ध्यान में रखते हुए और अच्छे उद्देश्यों के साथ बनाया जाता है।
नोट: ऊपर बताए गए सभी प्रभाव लोगों के अनुभवों पर आधारित है। बच्चों पर विज्ञापनों के सकारात्मक प्रभाव उनके मनोविज्ञान पर निर्भर करते हैं, इसलिए हम यह कह सकते हैं कि ये सारे बच्चों पर एक समान नहीं होते। साथ ही, इन पर कोई वैज्ञानिक शोध या प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
अब आपका विज्ञापन के नकारात्मक प्रभावों से भी परिचय करवा देते हैं।
नकारात्मक प्रभाव
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी तरह विज्ञापन के भी नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, जो बच्चों को कुछ इस प्रकार प्रभावित करते हैं
नोट: बच्चों पर विज्ञापनों के नकारात्मक प्रभाव उनके मनोविज्ञान पर निर्भर करते हैं और ये सभी में एक समान नहीं होते।
आर्टिकल के इस अहम हिस्से में हम जानते हैं कि विज्ञापनों के दुष्प्रभाव से आप अपने बच्चों को कैसे बचा सकते हैं।
बच्चों को विज्ञापनों के दुष्प्रभाव से कैसे बचाएं?
बच्चों पर पड़ रहे विज्ञापनों के दुष्प्रभाव आपके लिए भी चिंता का विषय बन जाते हैं। हर बार बच्चे के जिद करने पर, उसे डांटना या मारना समाधान नहीं होता। नीचे बताए गए उपायों की मदद से आप अपने बच्चों को विज्ञापनों के दुष्प्रभावों से बचा सकते हैं
विज्ञापन के प्रभावों के बारे में अपने बच्चों से बात करें और उन्हें विज्ञापन की रणनीतियों के बारे में समझाने की कोशिश करें। उनकी मानसिक क्षमता को समझ कर उनसे बात करने से आप उन्हें विज्ञापनों के दुष्प्रभाव से बचा सकते हैं। उन्हें सिर्फ दुष्प्रभाव ही नहीं, सकारात्मक प्रभावों के बारे में भी बताएं। ध्यान रखिए कि अगर आप बचपन में ही उन्हें विज्ञापन और उससे जुड़ी बातों के बारे में समझाएंगे और उनके दुष्प्रभाव के बारे में सतर्क करेंगे, तो भविष्य में आपको और उन्हें इसके दुष्परिणाम नहीं भोगने पड़ेंगे। आप नीचे कमेंट बॉक्स में हमें बताना न भूलें कि यह लेख आपके लिए मददगार रहा या नहीं। साथ ही, अगर आपके पास भी बच्चों को विज्ञापन, टीवी या इंटरनेट के दुष्प्रभाव से बचाने के कोई उपाय हैं, तो उसे हमारे साथ जरूर साझा करें, ताकि अन्य पाठकों को भी लाभ हो सके।
Post a Comment