गर्भावस्था - लक्षण, बच्चे का विकास और शारीरिक बदलाव
एक महिला को जैसे ही अपने गर्भवती होने की सूचना मिलती है, उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। हालांकि, गर्भधारण करने की सूचना अपने साथ कई तरह के शारीरिक बदलावों और समस्याओं का अंदेशा लेकर भी आती है। अगर प्रेग्नेंसी के पहले महीने से ही सभी ज़रूरी तैयारियां शुरू कर दी जाएं, तो गर्भावस्था से जुड़ी तमाम परेशानियों को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है।
दरअसल, प्रेग्नेंसी के पहले महीने में खासतौर पर पहली बार मां बनने वाली महिलाओं के पास जानकारी का अभाव होता है। कई बार तो उन्हें अपने प्रेग्नेंट होने तक की सही जानकारी नहीं होती है। इसलिए, मॉमजंक्शन के इस लेख़ में हम आपको प्रेग्नेंसी के पहले महीने (एक से चार सप्ताह) से संबंधित जानकारियों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
गर्भ ठहरने के 16 शुरुआती लक्षण | Pregnancy Ke Lakshan
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में गर्भवती महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं। इन बदलावों के बारे में सही जानकारी ना होने की वजह से कई बार गर्भवती महिलाएं घबराहट या तनाव का शिकार हो जाती हैं। हालांकि, अगर गर्भवती महिलाओं को प्रेग्नेंसी के पहले महीने में नीचे दिए गए लक्षण नज़र आएं, तो उन्हें बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए:
1. मासिक धर्म का रुक जाना:
इसे प्रेग्नेंसी की शुरुआत होने का संकेत माना जाता है। दरअसल, किसी महिला के गर्भवती होते ही उसके शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बनना शुरू हो जाता है। इस हार्मोन की वजह से मासिक धर्म बंद हो जाता है।
2. रक्तस्राव और ऐंठन:
जब गर्भाशय में अंडा निषेचित होता है, तब गर्भ धारण करने वाली महिला को हल्का रक्तस्राव हो सकता है और शरीर में ऐंठन महसूस हो सकती है। गर्भधारण करने के एक सप्ताह बाद गर्भवती महिला के शरीर में ये दोनों लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
3. मूड स्विंग:
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में गर्भवती महिला के व्यवहार में काफ़ी उतार-चढ़ाव नज़र आने लगता है। यह उतार-चढ़ाव गर्भवती महिला के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से होता है। इस दौरान गर्भवती महिला का मूड लगातार बदलता रहता है, जैसे कि वह किसी भी बात पर चिढ़ सकती है या उसे बेवजह रोना आ सकता है।
4. स्तनों का कड़ा होना:
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में गर्भवती महिला के स्तन कड़े हो जाते हैं और उनमें हल्का दर्द भी होता है। इस दौरान गर्भवती महिला के स्तनों में थोड़ी सूजन आ सकती है।
5. निप्पल का रंग बदलना:
इस दौरान आपको निप्पल में भी बदलाव नजर आ सकता है। हार्मोंस में बदलाव होने से मेलानोसाइट्स (एक प्रकार की त्वचा कोशिकाएं) प्रभावित होते हैं। इससे उन मेलेनिन का उत्पादन होता है, जिससे त्वचा का रंग गहरा हो जाता है। यही कारण है कि निप्पल का रंग ज्यादा गहरा नजर आ सकता है।
6. थकान होना:
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में बिना कुछ किए ही गर्भवती महिला को थकान महसूस हो सकती है। इस दौरान उसे सोने में भी परेशानी हो सकती है।
7. बार-बार पेशाब लगना:
शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ने के कारण प्रेग्नेंसी के पहले महीने में गर्भवती महिला को बार-बार पेशाब लगने की समस्या हो सकती है।
8. मॉर्निंग सिकनेस:
गर्भवती महिला को प्रेग्नेंसी के पहले महीने में सुबह-सुबह जी मिचलाने, उल्टी होने और चक्कर आने की समस्या हो सकती है।
9. खाने की रुचि और पसंद में बदलाव:
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में गर्भवती महिला की खान-पान से जुड़ी रुचि और पसंद में बदलाव नज़र आ सकता है। वह कोई ऐसी चीज़ खाना शुरू कर सकती है, जो उसे पहले पसंद नहीं थी। इस दौरान गर्भवती महिला को बार-बार भूख लग सकती है।
10. सीने में जलन:
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में गर्भवती महिला को सीने में जलन की शिकायत हो सकती है, जो सामान्य-सी बात है, इसलिए ऐसा होने पर घबराना नहीं चाहिए। हालांकि, सीने में ज़्यादा जलन होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
11. कब्ज़:
गर्भवती महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ने के कारण उसे कब्ज़ की शिकायत हो सकती है। प्रेग्नेंसी के पहले महीने में कब्ज़ का होना सामान्य माना जाता है।
12. सूंघने की क्षमता में वृद्धि:
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों के चलते गर्भवती महिला की सूंघने की क्षमता बढ़ जाती है।
13. ज़्यादा भूख लगना:
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में गर्भवती महिला की भूख अचानक बढ़ जाती है। वह ज़्यादा मात्रा में आहार लेने लगती है और उसे बार-बार भूख लगने लगती है।
14. सिर में दर्द होना:
गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण गर्भवती महिला को सिर दर्द होने की शिकायत हो सकती है।
15. पेट के निचले हिस्से में दर्द होना:
प्रेंग्नेंसी के पहले महीने के दौरान गर्भ में भ्रूण प्रत्यारोपित होता है। इसकी वजह से गर्भवती महिला को पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत हो सकती है।
16. पीठ में दर्द होना:
गर्भावस्था के पहले महीने में गर्भवती महिला को पीठ दर्द की समस्या हो सकती है। यह गर्भावस्था का शुरुआती लक्षण है, इसलिए इस दर्द से घबराना नहीं चाहिए।
प्रेग्नेंसी की पुष्टि या प्रेग्नेंसी टेस्ट
अगर किसी महिला को अपने शरीर में ऊपर बताए गए लक्षण नज़र आते हैं, तो उसे जल्द से जल्द प्रेग्नेंसी टेस्ट कर लेना चाहिए। गर्भवती महिलाएं यह टेस्ट खुद कर सकती हैं या फिर डॉक्टर से जांच करवा कर गर्भावस्था की पुष्टि की जा सकती है। नीचे उन तरीकों के बारे में बताया गया है, जिनकी मदद से गर्भवती महिलाएं अपनी गर्भावस्था की जांच या उसकी पुष्टि कर सकती हैं:
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में शरीर में होने वाले बदलाव
गर्भावस्था के पहले महीने में गर्भवती महिला के शरीर में नीचे दिए गए बदलाव नज़र आ सकते हैं:
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में बच्चे का विकास और आकार
प्रेग्नेंसी के पहले महीने से ही गर्भ में शिशु के विकास की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। नीचे इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया गया है:
निषेचन की प्रक्रिया
शुक्राणुओं और अंडाणुओं का मिलन निषेचन कहलाता है। निषेचन की प्रक्रिया संभोग के दो से तीन दिन बाद शुरू हो सकती है। इस प्रक्रिया के शुरुआती चरण में शुक्राणुओं और अंडाणुओं के मिलन से एक युग्म बनता है। इस युग्म को अंग्रेज़ी में ‘ज़ाइगोट’ कहते हैं।
प्रत्यारोपण की प्रक्रिया
निषेचन के बाद प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू होती है। इस प्रक्रिया में ज़ाइगोट फ़ैलोपियन ट्यूब से होकर गर्भाशय में पहुंचता है। चौथे से छठे दिन के बीच यह ज़ाइगोट कई कोशिकाओं में विभाजित हो जाता है। इसके बाद ये कोशिकाएं इकट्ठा होकर गेंद जैसा आकार ले लेती हैं। इसे ‘ब्लास्टोसिस्ट’ कहते हैं। अगर यह ‘ब्लास्टोसिस्ट’ दो से तीन दिन में गर्भाशय की दीवार से चिपक जाए, तो प्रत्यारोपण की प्रक्रिया सफलता के साथ पूरी हो जाती है।
भ्रूण का विकास
निषेचित अंडे विकसित होने पर एमनियॉटिक सैक का निर्माण होता है। इस दौरान प्लेसेंटा भी विकसित होने लगती है। बात की जाए शिशु के विकास की, तो इस दौरान चेहरा बनना शुरू होगा। आंखों की जगह काले घेरे नज़र आएंगे। इस दौरान शिशु का निचला जबड़ा और गला बनना शुरू होगा। वहीं, रक्त कोशिकाएं बनकर रक्त संचार शुरू होगा। चौथे सप्ताह के अंत तक शिशु का दिल एक मिनट में 65 बार धड़कने लगेगा। इस महीने के अंत तक शिशु ¼ इंच का हो जाएगा, जो चावल के दाने से भी छोटा होगा।
प्रेग्नेंसी के पहले महीने के लिए आहार
प्रेग्नेंसी की शुरुआत होने पर गर्भवती महिला को ज़्यादा मात्रा में पोषक तत्वों की ज़रूरत पड़ती है। इस बढ़ती ज़रूरत को पूरा करने के लिए, उन्हें निम्निलिखित चीज़ों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए:
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में क्या खाएं?
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में क्या ना खाएं?
प्रेग्नेंसी की शुरुआत में कुछ चीज़ों को खाने से गर्भवती महिला और उसके भ्रूण को नुकसान हो सकता है। नीचे हम कुछ ऐसी चीज़ों के नाम बताने जा रहे हैं, जिनसे गर्भवती महिला को परहेज करना चाहिए:
नोट: अपनी सुविधा के लिए गर्भवती को डॉक्टर से सलाह लेकर एक डाइट चार्ट बनाना चाहिए।
प्रेग्नेंसी के पहले महीने के लिए व्यायाम
गर्भावस्था के पहले महीने में व्यायाम करना काफ़ी फ़ायदेमंद होता है। इससे गर्भवती के शरीर में चुस्ती-फुर्ती आती है और उसे गर्भावस्था के शुरुआती दौर में होने वाले तनाव से राहत मिलती है। गर्भावस्था के पहले महीने में नीचे बताए गए व्यायाम किए जा सकते हैं:
एरोबिक एक्सरसाइज़ करने से हृदय स्वस्थ रहता है और नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।
पानी में इंसान को अपना वज़न ज़मीन के मुकाबले दस गुना कम महसूस होता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं के लिए तैराकी को सबसे आसान और असरदार व्यायाम माना जाता है। गर्भावस्था की शुरुआत में गर्भवती महिलाओं को दिन में 15-20 मिनट तक तैराकी करने की सलाह दी जाती है।
इस एक्सरसाइज़ से पेट, पीठ और श्रोणि को मजबूती मिलती है। गर्भवती महिलाएं चाहें तो इस एक्सरसाइज़ को सीखने के लिए पिलेट्स कक्षाओं में जा सकती हैं।
गर्भावस्था के पहले महीने में स्टेशनरी बाइक चलाना अच्छा हो सकता है। इसके अलावा, उन्हें सप्ताह में तीन बार 30 मिनट के लिए स्पिन कक्षाओं में शामिल होने की सलाह दी जाती है।
गर्भवती को प्रेग्नेंसी की शुरुआत से ही अपने योग गुरु और डॉक्टर से सलाह लेकर योग के कुछ खास आसनों का अभ्यास करना चाहिए।
नोट: ध्यान रखें कि हर गर्भवती महिला की शारीरिक स्थिति अलग-अलग होती है। इसलिए, कोई भी व्यायाम शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना ना भूलें।
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
गर्भावस्था के पहले महीने में गर्भवती महिलाओं को नीचे दी गई बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए:
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में क्या करें?
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में क्या ना करें?
होने वाले बच्चे के पिता के लिए टिप्स
किसी महिला के गर्भ धारण करने पर, होने वाले बच्चे के पिता की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। चूंकि, संतान प्राप्ति के सुख में मां और बाप दोनों बराबर के भागीदार होते हैं, इसलिए, प्रेग्नेंसी के दौरान भी दोनों की ज़िम्मेदारी बराबर होती है। नीचे हम कुछ ऐसे टिप्स दे रहे हैं, जिनकी सहायता से होने वाले बच्चे के पिता अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी को बेहतर तरीके से निभा सकते हैं:
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. क्या गर्भावस्था के पहले महीने के दौरान संभोग करना सुरक्षित है?
हां, अगर आपको पहले कभी गर्भपात या प्रीमैच्योर डिलीवरी जैसी समस्या नहीं हुई है, तो आप इस दौरान समभोगकर सकते हैं। फिर भी एक बार इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
2. प्रेग्नेंसी की शुरुआत में रक्तस्राव का क्या मतलब हो सकता है?
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में गर्भ में भ्रूण के प्रत्यारोपण के कारण रक्तस्राव हो सकता है। इसलिए ऐसा होने पर घबराना नहीं चाहिए। फिर भी रक्तस्राव होने पर अपने डॉक्टर को इसकी जानकारी देनी चाहिए।
3. क्या गर्भावस्था के पहले महीने में पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है?
हां, गर्भावस्था के पहले महीने में पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। यह दर्द गर्भ में भ्रूण के प्रत्यारोपित होने की वजह से होता है। आमतौर पर एक से दो दिन में यह दर्द चला जाता है।
हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख में आपको गर्भावस्था के पहले महीने से जुड़ी सारी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर अब भी आपके मन में कोई सवाल है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में उसे ज़रूर लिखें।
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