DNS क्या होता है – DNS Kya Hota Hai?





हेलो दोस्तो स्वागत है आपका vr वेबसाइट में। तो आज में आपको बताने वाला हूँ की DNS क्या होता है। तो आप सभी Internet इस्तेमाल करते हो तो क्यों आपका DNS के बारे में जानना जरूरी है। तो ये सभी बाते आज में इस ब्लॉग पोस्ट ,के Cover करने वाला हूँ।

तो क्या आपको पता है की पूरे वर्ल्ड में जितने भी कंप्यूटर है वो सब एक दूसरे से connected है । और सिर्फ कंप्यूटर ही नही आपके मोबाइल फ़ोन्स भी एक दूसरे से कनेक्टेड है Internet के through। तो ये सभी मिलके एक नेटवर्क बनाते है । तो इन सबको कनेक्टेड रखने के लिए सबसे बड़ा Role IP एड्रेस का होता है । तो अब आप बोलोगे की DNS बताना था और में IP एड्रेस पर कैसे आ गया तो में आपको बता दु की IP एड्रेस और DNS दोनो एक दूसरे से जुड़े हुए है । में आपको आगे बताऊंगा की इस क्यों है।

तो अगर आप सब कुछ detail में जानना चाहते हो तो इस ब्लॉग पोस्ट को शुरू से लेकर आखिर एक जरूर पढियेगा । तभी आपको सारी चीज़े समझ में आएंगी। तो ज्यादा टाइम न waste करते हुए चलिए स्टार्ट करते है।

DNS क्या होता है?

तो सबसे पहले में आपको बता दू की DNS की फुल फॉर्म Domain Name System होती है। इसे Domain Name Serverऔर Domain Name Service भी कहा जाता है। ये एक ऐसा सिस्टम होता है जो की किसी भी डोमेन के नाम को उसके एक पर्टिकुलर IP एड्रेस से जोड़ता है।  तो जैसा की मेने आपको बताया की पूरी दुनिया में जितने भी कंप्यूटर्स है और सर्वर्स है वो एक दूसरे से जुड़े हुए है या कह सकते है connected है । और सिर्फ कंप्यूटर्स ही नही आपके फ़ोन्स भी । अब आप ये पोस्ट पढ़ रहे हो ये भी सर्वर से कनेक्टेड है।

आप Internet इस्तेमाल करते हो और अपने ISP से कनेक्टेड हो आपके ISP दूसरे servers से कनेक्टेड है तो कहने का मतलब की सारी चीज़े एक दूसरे से कनेक्टेड है । तो DNS को समझने के लिए आपको उसकी वर्किंग जननी होगी ।

DNS कैसे काम करता है?
तो जब सारे कंप्यूटर एक दूसरे से कनेक्टेड है और कंप्यूटर नेटवर्क बनाते है । तो जो ये सारे कंप्यूटर एक दूसरे कनेक्ट हो पाते है वो IP एड्रेस की मदत से हो पाते है। तो अब आप पूछोगे की की IP एड्रेस क्या होता है । तो में आपको बता दू की IP एड्रेस वो एड्रेस होता है जो की हर कंप्यूटर का अलग अलग assign किया जाता है। ये IP एड्रेस नंबर्स की फॉर्म में होता है। तो ये IP एड्रेस हर कंप्यूटर का अलग अलग होता है ।

और इसी की मद्त से कंप्यूटर एक दूसरे से ट्रांसमिट कर पाते है यानी की डेटा शेयर कर पाते है। तो मानलो की आपको किसी को फ़ोन करना है तो आप उस बंदे का फ़ोन नंबर लगाओगे तो वो जो पर्टिकुलर फ़ोन नंबर है वो उसके फ़ोन का है। तो ऐसे ही IP एड्रेस होता है ये सभी कंप्यूटर के लिए अलग अलग असाइन किया जाता है।



तो IP एड्रेस तो नंबर की फॉर्म में होता है जिसे याद रख पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है । क्योंकि इंसान को नंबर्स जल्दी से याद नही होते जितना जल्दी उसे नाम याद हो जाते है। तो इसी लिए बनाया गया है DNS को । अब आप google.com सर्च करते हो google.com उसका नाम हो गया । लेकिन जो सर्वर है और इवन आपका कंप्यूटर है वो नही जानता की ये google.com क्या है । और सरफ google.com नही बाकी सारी वेबसाइट्स के लिए इस ही होता है मेने google.com को सिर्फ example के लिए लिया है।

तो आपके कंप्यूटर और सर्वर को किसी भी वेबसाइट का नाम नही पता होता। तो जब सर्वर या कंप्यूटर को पता ही नही है की ये google.com होता क्या है तो हम इस तक कैसे पहोच जाते है ? में बताता हु जब भी आप google.com सर्च करते हो तो जो सर्वर या आपका कंप्यूटर होता है वो जिस भी वेबसाइट को आपने सर्च किया उसका IP एड्रेस निकलता है और उस IP एड्रेस के जरिये आप google.com पर पहोच पाते हो।

वेबसाइट का IP एड्रेस कैसे पता करे?



तो दोस्तो जैसा की आपको पता चल गया होगा की IP एड्रेस ही किसी भी वेबसाइट का असली एड्रेस होता है। उसका नाम तो सिर्फ इसीलिए रखा जाता है ताकि उसे आसानी से याद रख पाए। तो अब में आपको बता दू की आप किसी भी वेबसाइट का सिर्फ IP एड्रेस लिख कर भी उस वेबसाइट पर जा सकते हो। अगर आपको किसी भी वेबसाइट का IP एड्रेस जानना है तो आप google पअर सर्च कीजिये IP address finder और आप फिर किसी एक वेबसाइट पर जाकर सामने आपको जिस भी वेबसाइट का IP आडरेस आप जानना चाहते हो उसे एंटर कर दीजिये और फिर आपको उस वेबसाइट का IP एड्रेस मिल जाएगा । वो कुछ ऐसा होगा 278.67.37 ऐसे ही कुछ वो होगा । फिर आप उसे भी सर्च करोगे तो वो वेबसाइट खुल जाएगी जिसका आपने IP एड्रेस बनाया था ।

Conclusion
तो दोस्तो अगर आपने इस ब्लॉग पोस्ट को पूरा पढ़ा हयोग तो आपको समझ में आ गया होगा की DNS क्या होता है। तो ये सिर्फ IP एड्रेस को को हमे याद न करना पड़े इसलिए बनाया है । क्योंकि IP एड्रेस थोड़े complicated होते है । और नंबर्स तो वऐसे ही याद रखना मुश्किल होता है। अगर आपके पास अपनी खुद की वेबसाइट है तो आपको पता ही होगा की जब भी आप अपने डोमेन को खरीद ते हो तो उसके बाद आपको उसकी DNS सेटिंग करनी होती है होस्टिंग से जोड़ने के लिए।

तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही ।

अगर आपको कुछ भी सवाल पूछना हो तो कमेंट करके हमे जरूर बताइयेगा ।